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Showing posts from July 19, 2020

दिल बेज़ुबान

दिल बेज़ुबान बहोत सालों के बाद कुछ लिखने और उसको म्यूज़िक में कम्पोज़ करने का फिर से मन हुवा.  यहाँ पर सुना जा सकता है .  दिल बेज़ुबान, क्या कहे, क्या पता,  ख़ुद से ही है, बेख़बर, बेवजह  कभी किसी चीज़ की कमी,  कभी रंगीं लगे ज़मीन,  एक पल में ही ये ढूँढे,  दोनों जहां. दिल बेज़ुबान ... कोई जो कुछ कह दे,  यूँ साथ चल ले,  सोयी सी आरज़ू को,  धीमी सी आग दे दे... भूले जो दिल कभी ना  उस पाश की निशानी,  बहलाती जिसकी बोली,  फिर धूँध सी कहानी,  कभी किसी चीज़ की कमी,  कभी रंगीं लगे ज़मीन,  एक पल में ही ये ढूँढे,  दोनों जहां. दिल बेज़ुबान ... शायद, एक बार मुड़ के उन निगाहों से जो देखे,  मिट जाए दूरियाँ, बिन कहे, आँखों से,  लफ़्ज़ों की कोई कमी फिर दर्मयां ना आए,  बेक़रारी में हसरतें पलें,  खवाहिशों में ख़लिश  कभी किसी चीज़ की कमी,  कभी रंगीं लगे ज़मीन,  एक पल में ही ये ढूँढे,  दोनों जहां. दिल बेज़ुबान ...