सुबह की बारिश कुछ याद दिलाए, एक फ़साना जो लिख ना पाए, एक अधूरी दिलसोज़ कहानी, पीली सफ़हों में छुपी रवानी, बूँदों की आहट पत्तों से सरके, भूरे बादल टहनियों पे बैठे, गीली मिट्टी की पोर में घुलकर, एक टीस की उल्फ़त घर बनाए, अंजाने मक़ाम की पहचानी राहें, साथ चले कुछ देर फिर छूटे, सुबह की दूरी शब में ढ़ल कर, वक़्त के मौसम नींद उड़ाए, फिर तेज़ उठी बारिश की बूँदें, गीली टीस भी खुल कर बरसे, वक़्त के मरहम रूह जलाए, सुबह की बारिश कुछ याद दिलाए.
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